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कर्म और भाग्य की लड़ाई|karm aur bhagya ki ladai apisode 7| Ravi sir aur chitaranjandas

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Karm aur bhagya ki ladai  रवि सर और चितरंजन दास की वार्तालाप । नमस्कार और स्वागत है! आप देख रहे हैं Author Kedar, जहाँ शब्दों से ज़िंदगी बदलती है और कहानियाँ दिल को छू जाती हैं। आज हम लेकर आए हैं "कर्म और भाग्य की लड़ाई" की अगली कड़ी – एक ऐसी कहानी, जहाँ हर मोड़ पर सवाल उठता है । जहां शब्द मिलते हैं, वहां कहानियां सुनाई देती हैं। कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है... लेकिन क्या वाकई?  या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है?  यह कहानी है चितरंजन दास की...एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया। अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया...  लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया ?  यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित।  आप जिस कहानी को पढ़ रहे हैं, उसके लेखक हैं — केदारनाथ भारतीय, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) से। सरल मिजाज और गहरी सामाजिक समझ रखने वाले केदारनाथ जी ने इस कहानी को समाज, देश और दुनिया की सच्चाइयों को देखते हुए रचा है। इस प्रेरक कथा का शीर्षक है — 'कर्म और भाग्य की लड़ाई: चितरंजन दास की संघर्ष गाथा'। यह है भाग – 7। हर मोड़ पर ...

कर्म और भाग्य की लड़ाई|Karm aur bhagya ki ladai episode 6

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मोना मैम चितरंजन दास को परेशान करते हुए  मोना मैम और चितरंजन दास का प्रेम–प्रसंग । नमस्कार और स्वागत है! आप देख रहे हैं Author Kedar, जहाँ शब्दों से ज़िंदगी बदलती है और कहानियाँ दिल को छू जाती हैं। आज हम लेकर आए हैं "कर्म और भाग्य की लड़ाई" की अगली कड़ी – एक ऐसी कहानी, जहाँ हर मोड़ पर सवाल उठता है । जहां शब्द मिलते हैं, वहां कहानियां सुनाई देती हैं। कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है... लेकिन क्या वाकई?  या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है? यह कहानी है चितरंजन दास की...एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया,अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया... लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया ? "यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित। लेखक - केदार नाथ भारतीय" कर्म और भाग्य की लड़ाई| चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 6  अगर आपको ऐसी कहानियाँ पसंद हैं तो इस चैनल को सब्सक्राइब करें, वीडियो को लाइक करें और कमेंट में अपनी राय ज़रूर बताएं। पिछले भाग में  , आपने देखा कि शादी के बाद मोना मैडम पूरी तरह बदल चुकी थीं। अब वह रवि सर से बार-बार झगड़तीं औ...

कर्म और भाग्य की लड़ाई|Karm aur bhagya ki ladai episode 5

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चितरंजन दास, रवि सर के बेटे को लेकर जा रहे थे। मोना मैम की तीखी वाडी  जहां शब्द मिलते हैं, वहां कहानियां सुनाई देती हैं। कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है...  लेकिन क्या वाकई?  या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है?  यह कहानी है चितरंजन दास की...एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया,अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया... लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया ? "यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित।लेखक: केदार नाथ भारतीय "कर्म और भाग्य की लड़ाई| चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 5 पिछले भाग में,  आपने देखा कि वर्षों से अधूरी प्रेम कहानी को पूरा करने में चितरंजन दास सफल हुए। रवि सर की शादी उनकी ही सेक्रेटरी मोना मैम से हुई, और इस सुखद मिलन का श्रेय भी कहीं न कहीं चितरंजन दास को ही जाता है। अब तक सब कुछ सुंदर और संतुलित ढंग से चल रहा है — एक नई शुरुआत, नए विश्वास के साथ। अब आगे........ ऑपरेशन सिन्दूर और कराची बेकरी से हमे सीखने, की जरूरत है  सांसारिक भवसागर के असीमित एवं अकूत जल राशि में गोते लगाते हुए, वह समय रूपी पंछी अपने द...

Emotional Shayari with Roadside Image | by Kedarkahani.in

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Emotional Shayari with Roadside Image – by Kedarkahani.in राहों का रुकना भी एक सफर है – एक तस्वीर, एक शायरी सड़कें ख़ामोश हैं, पर मंज़िलों की चाह बाकी है, धूप के साए में थमी ये रफ्तार भी एक गवाही है। छोटा-सा ट्रक, सपनों का बोझ लिए खड़ा है, जैसे ज़िंदगी हर मोड़ पे कुछ पल ठहरा है। नीला आसमां, रूई जैसे बादल लहराते हैं, हर सफ़र के किस्से इन राहों पे मुस्कुराते हैं। ये मोड़, ये संकेत, बस वक्त का इशारा हैं, कि चलना ही ज़िंदगी है, रुकना बस एक किनारा है। इस तस्वीर में छुपे हुए ठहराव और उसकी ख़ामोशी को शायरी के शब्दों में पिरोया गया है। एक छोटा ट्रक, एक लंबा रास्ता और नीला आसमान — इन तीनों के बीच जो भाव है, वही ज़िंदगी का एक अनकहा पहलू है। – नागेन्द्र भारतीय kedarkahani.in | magicalstorybynb.in अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो कृपया Like, Comment और Share ज़रूर करें। कहानियाँ जो दिल से निकलती हैं, उन्हें सुरक्षित रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। Stories that come from the heart, protecting them is our responsibility. Share this post...

कर्म और भाग्य की लड़ाई|Karm aur bhagya ki ladai episode 2

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रवि सर चितरंजन दास को खाना भेट करते हुए। चितरंजन दास चला शहर की तरफ एक नई उम्मीद लेकर। कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है... लेकिन क्या वाकई?  या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है?  यह कहानी है चितरंजन दास की... एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया, अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया... लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया?" "यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित। इसके पात्र और घटनाएँ किसी भी जीवित व्यक्ति या स्थान से मेल खा सकती हैं, पर यह केवल एक संयोग होगा। लेखक: केदार नाथ भारतीय" कर्म और भाग्य की लड़ाई| चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 2 वह उत्साह के कौतूहलता में डूबा हुआ बिना पीछे मुड़े,आगे की तरफ बढ़ता ही चला जा रहा था, जिसके कर्म गति के साथ साथ उसका भाग्य भी जुड़ा हुआ, बहुत ही सरल सहज और सुगमता के साथ चुपके चुपके कर्म लेखा का हिसाब किताब लगाते हुए संघ संघ चल रहा था, उसे क्या पता था कि कर्म कितना भी महान हो  बलवान और तेजस्वी हो, फल और पुण्य से लवरेज हो किन्तु यदि भाग्य रेखा में अशुभता या दोष की लेशमात्र भी कहीं छाया आ गई हो,...

अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य|anjir ka jadu aur ek Prem rahasy|hindi stories

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अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य भाग-2|Hindi stories  अंजीर का जादू – भाग 2|अतीत के दरवाजे पिछले भाग में: अद्विक को बार-बार एक सपना आ रहा था, जिसमें एक रहस्यमयी लड़की उसे अंजीर के पेड़ के बारे में सच जानने के लिए कह रही थी। गाँव के मेले में उसकी मुलाकात अदिति नाम की लड़की से हुई, जो बिल्कुल वैसी ही थी जैसी उसने सपनों में देखी थी।  अद्विक की बेचैनी रात के सन्नाटे में अद्विक अपनी खिड़की के पास बैठा था। बाहर हल्की चांदनी फैली हुई थी, और हवा में अंजीर के पत्तों की सरसराहट गूंज रही थी। उसकी आँखों में नींद नहीं थी, बल्कि हजारों सवाल थे। "अदिति... वह कौन है? क्या यह सब सिर्फ एक संयोग है, या इस अंजीर के पेड़ से मेरा कोई गहरा नाता है?" उसका मन किसी रहस्य को महसूस कर रहा था। उसने फैसला किया कि अब उसे इस पेड़ के बारे में और जानना ही होगा।  गाँव का सबसे पुराना ग्रंथ अगली सुबह अद्विक गाँव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति, पंडित सोमेश्वर जी के पास गया। वे गाँव के मंदिर के पुजारी थे और सदियों पुराने ग्रंथों के बारे में जानते थे। अद्विक: "पंडित जी, मैं अंजीर के पेड़ के बारे में कुछ जानना चाहता हू...

क्रेडिट कार्ड की अनसुनी कहानी - The Untold Story of Credit Card | कैसे एक भूला हुआ वॉलेट बना करोड़ों की क्रांति का कारण ।

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क्रेडिट कार्ड की अनसुनी कहानी - The Untold Story of Credit Card  कैसे एक भूला हुआ वॉलेट बना करोड़ों की क्रांति का कारण क्रेडिट कार्ड की अनसुनी कहानी, कैसे एक भूला हुआ वॉलेट बना करोड़ों की क्रांति का कारण (भाग- 1) साल 1949 की एक सर्द रात थी। न्यूयॉर्क के एक मशहूर रेस्तरां में कुछ दोस्त खाना खा रहे थे। ठहाके, किस्से और शानदार डिनर के बीच एक घटना हुई, जिसने दुनिया की अर्थव्यवस्था का चेहरा बदल दिया। फ्रैंक मैकनमारा नाम के एक मशहूर बिजनेसमैन ने जब बिल चुकाने के लिए अपनी जेब में हाथ डाला तो पाया कि उनका वॉलेट घर पर रह गया है। एक सफल इंसान के लिए यह बेहद शर्मिंदगी भरा पल था। लेकिन इसी लम्हे ने क्रेडिट कार्ड के बीज बो दिए। फ्रैंक के दिमाग में एक सवाल आया—क्या ऐसा कोई तरीका नहीं हो सकता, जिससे बिना नकद दिए ही पेमेंट किया जा सके? क्यों न पहचान ही भुगतान का आधार बन जाए? यह ख्याल नया था, लेकिन इसकी जड़ें सदियों पुरानी थीं। जबसे दुनिया में व्यापार शुरू हुआ, तबसे उधार की परंपरा भी रही। प्राचीन भारत में ‘हुण्डी’ व्यवस्था थी, जहां कागज की पर्चियों पर लेन-देन होते थे। पर इसमें भरोसे की ही अहमियत थी...

अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य|anjir ka jadu aur ek Prem rahasy|hindi stories

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अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य  भाग- 1 गाँव चंद्रपुर हमेशा से रहस्यों से भरा रहा है। यह एक छोटा सा पहाड़ी गाँव था, जो अपनी हरियाली, शुद्ध हवा और पौराणिक कहानियों के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ के लोग मानते थे कि उनके गाँव में एक ऐसा अंजीर का पेड़ है, जो इंसान की किस्मत बदल सकता है। लेकिन उसके बारे में जितनी कहानियाँ थीं, उतने ही डर भी थे। गाँव के बुजुर्ग कहते थे कि यह अंजीर का पेड़ कोई साधारण वृक्ष नहीं, बल्कि सैकड़ों साल पुराना एक जादुई वृक्ष है। ऐसा कहा जाता था कि इस पेड़ का फल खाने वाले को उसका सच्चा प्रेम मिल जाता है, लेकिन अगर कोई इसे स्वार्थ से खाए, तो उसका प्यार उससे हमेशा के लिए दूर चला जाता है। हालाँकि, इस बात को साबित करने वाला कोई नहीं था। कुछ लोगों का मानना था कि यह सिर्फ एक लोककथा है, लेकिन गाँव के कुछ बुजुर्ग इसे सच मानते थे। गाँव में रहने वाला अद्विक , 24 वर्षीय एक युवा कलाकार, इस पेड़ के रहस्य से बहुत आकर्षित था। वह गाँव के मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाता और पेंटिंग करता था। उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी, और उसका मन हमेश...