अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य|anjir ka jadu aur ek Prem rahasy|hindi stories
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अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य |
अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य भाग- 1
गाँव चंद्रपुर हमेशा से रहस्यों से भरा रहा है। यह एक छोटा सा पहाड़ी गाँव था, जो अपनी हरियाली, शुद्ध हवा और पौराणिक कहानियों के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ के लोग मानते थे कि उनके गाँव में एक ऐसा अंजीर का पेड़ है, जो इंसान की किस्मत बदल सकता है। लेकिन उसके बारे में जितनी कहानियाँ थीं, उतने ही डर भी थे।
गाँव के बुजुर्ग कहते थे कि यह अंजीर का पेड़ कोई साधारण वृक्ष नहीं, बल्कि सैकड़ों साल पुराना एक जादुई वृक्ष है। ऐसा कहा जाता था कि इस पेड़ का फल खाने वाले को उसका सच्चा प्रेम मिल जाता है, लेकिन अगर कोई इसे स्वार्थ से खाए, तो उसका प्यार उससे हमेशा के लिए दूर चला जाता है।
हालाँकि, इस बात को साबित करने वाला कोई नहीं था। कुछ लोगों का मानना था कि यह सिर्फ एक लोककथा है, लेकिन गाँव के कुछ बुजुर्ग इसे सच मानते थे।
गाँव में रहने वाला अद्विक, 24 वर्षीय एक युवा कलाकार, इस पेड़ के रहस्य से बहुत आकर्षित था। वह गाँव के मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाता और पेंटिंग करता था। उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी, और उसका मन हमेशा नयी चीज़ें जानने के लिए उत्सुक रहता था।
अद्विक ने कई बार इस अंजीर के पेड़ को देखा था। यह गाँव के पुराने खंडहरों के पास स्थित था, जहाँ आमतौर पर कोई नहीं जाता था। वह कई बार सोचता कि इस रहस्य को कैसे सुलझाया जाए, लेकिन कोई ठोस प्रमाण नहीं था।
पिछले कुछ दिनों से अद्विक को एक ही सपना बार-बार आ रहा था। वह खुद को उसी अंजीर के पेड़ के पास खड़ा देखता, और सामने एक लड़की खड़ी होती थी—लंबे काले बाल, चमकती आँखें, और सफेद सूती कपड़े पहने हुए। वह उसे अपने पास बुलाती, लेकिन जैसे ही वह कदम बढ़ाता, सब कुछ धुंधला हो जाता और उसकी नींद खुल जाती।
अद्विक इस सपने को समझ नहीं पा रहा था। क्या यह सिर्फ एक कल्पना थी, या इस पेड़ का उसके जीवन से कोई गहरा संबंध था?
एक दिन गाँव में सालाना चंद्र महोत्सव लगा। यह गाँव का सबसे बड़ा त्योहार था, जहाँ दूर-दूर से लोग आते थे। मेले में तरह-तरह की दुकानें लगी थीं—मिठाइयों की खुशबू, रंग-बिरंगे कपड़े, लोक संगीत और नाच-गाने से पूरा गाँव जीवंत हो उठा था।
अद्विक भी मेला देखने गया। उसकी नजर एक पेंटिंग की दुकान पर पड़ी, जहाँ कोई गाँव के खूबसूरत नज़ारे की पेंटिंग बना रहा था। लेकिन पेंटिंग से ज्यादा उसकी नजर उस लड़की पर पड़ी, जो ध्यान से ब्रश चला रही थी।
वह वही लड़की थी, जिसे वह अपने सपनों में देखता था!
अद्विक ने थोड़ी हिम्मत जुटाकर उस लड़की से बात करने की कोशिश की।
"आप बहुत अच्छी पेंटिंग बनाती हैं," उसने हिचकिचाते हुए कहा।
लड़की मुस्कुराई। "धन्यवाद! मुझे पेंटिंग करना बहुत पसंद है। मैं अदिति हूँ।"
अद्विक को यह नाम सुनकर अजीब सा एहसास हुआ, मानो यह नाम पहले से कहीं सुना हो।
"मैं अद्विक हूँ। आप गाँव में नई हैं?"
"हाँ, मैं कुछ महीनों पहले ही आई हूँ। मेरे पापा यहाँ के स्कूल में अध्यापक हैं," अदिति ने जवाब दिया।
अद्विक को महसूस हुआ कि वह इस लड़की से और बातें करना चाहता है। लेकिन उसे यह भी समझ नहीं आ रहा था कि यह वही लड़की है जो उसके सपनों में आती थी, या यह सिर्फ एक संयोग था।
उस रात अद्विक फिर से वही सपना देखता है। वही अंजीर का पेड़, वही लड़की, लेकिन इस बार कुछ अलग था। लड़की उसके पास आती है और कहती है—"तुम्हें सच जानना होगा, लेकिन जल्दी करो। समय कम है।"
अद्विक की आँखें खुल गईं। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। यह सब क्या हो रहा था?
क्या यह सच में किसी रहस्य की शुरुआत थी?
अगले भाग में:
- अद्विक और अदिति की दोस्ती गहरी होती है।
- अद्विक को अंजीर के पेड़ के बारे में और नई बातें पता चलती हैं।
- क्या अदिति भी इस रहस्य से जुड़ी हुई है?
(अगले भाग में रोमांच और बढ़ेगा!)
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