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Emotional Shayari with Roadside Image | by Kedarkahani.in

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Emotional Shayari with Roadside Image – by Kedarkahani.in राहों का रुकना भी एक सफर है – एक तस्वीर, एक शायरी सड़कें ख़ामोश हैं, पर मंज़िलों की चाह बाकी है, धूप के साए में थमी ये रफ्तार भी एक गवाही है। छोटा-सा ट्रक, सपनों का बोझ लिए खड़ा है, जैसे ज़िंदगी हर मोड़ पे कुछ पल ठहरा है। नीला आसमां, रूई जैसे बादल लहराते हैं, हर सफ़र के किस्से इन राहों पे मुस्कुराते हैं। ये मोड़, ये संकेत, बस वक्त का इशारा हैं, कि चलना ही ज़िंदगी है, रुकना बस एक किनारा है। इस तस्वीर में छुपे हुए ठहराव और उसकी ख़ामोशी को शायरी के शब्दों में पिरोया गया है। एक छोटा ट्रक, एक लंबा रास्ता और नीला आसमान — इन तीनों के बीच जो भाव है, वही ज़िंदगी का एक अनकहा पहलू है। – नागेन्द्र भारतीय kedarkahani.in | magicalstorybynb.in अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो कृपया Like, Comment और Share ज़रूर करें। कहानियाँ जो दिल से निकलती हैं, उन्हें सुरक्षित रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। Stories that come from the heart, protecting them is our responsibility. Share this post...

कर्म और भाग्य की लड़ाई|Karm aur bhagya ki ladai episode 4

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रवि सर और मोना की शादी की एक दृश्य रवि सर और उनके पुरानी प्रेमिका से शादी। कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है... लेकिन क्या वाकई?  या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है?  यह कहानी है चितरंजन दास की... एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया, अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया... लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया?" "यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित। लेखक: केदार नाथ भारतीय" कर्म और भाग्य की लड़ाई| चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 4 पिछले भाग में आपने देखा कि रवि सर, जो चितरंजन दास को पुत्र समान स्नेह देते हैं, अब भी अपने अतीत की अधूरी प्रेम कहानी के साथ जी रहे हैं। वर्षों शहर में बिताने के बाद, चितरंजन गांव लौटने का निर्णय लेते हैं। पर इस बार उनका उद्देश्य केवल वापसी नहीं, बल्कि एक अधूरी कहानी को मुकम्मल अंजाम देना है — उन्होंने ठान लिया है कि वे रवि सर का विवाह उनकी पुरानी प्रेमिका से कराकर, उन्हें वह सुख लौटाएंगे जिसे समय ने उनसे छीन लिया था। अब आगे ..... ! चितरंजन दास उर्फ विजय कुमार की बल बुद्धि विद्या और ज्ञान से भरी हुई कर्मठत...

कर्म और भाग्य की लड़ाई|Karm aur bhagya ki ladai episode 3

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चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 3 चितरंजन दास की खुला भाग्य। कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है... लेकिन क्या वाकई?  या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है?  यह कहानी है चितरंजन दास की... एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया, अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया... लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया?" "यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित। लेखक: केदार नाथ भारतीय" कर्म और भाग्य की लड़ाई| चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 3 पिछले भाग में चितरंजन दास और कारपेंटर उद्योग रवि कुमार से मुलाकात एक स्टेशन पर हुई। अब आगे .... जैसे ही रवि कुमार के साथ चितरंजन दास उर्फ विजय कुमार, ट्रेन से नीचे उतरकर, संगमरमर के स्निग्ध फुटपाथ पर कदम रखे, वैसे ही वहां पहले से ही मौजूद  गोपीचंद्र  नाम का व्यक्ति जो रवि कुमार की विशेष क्वालिस गाड़ी का सर्वश्रेष्ठ ड्राइवर था वह खाकी वर्दी पहने हुए उन्हें  'जोरदार सैल्यूट मारा',सर, गुड  मॉर्निंग।  मॉर्निंग, रवि कुमार ने औपचारिकताओ को पूर्ण करते हुए गोपीचंद्र  से  पूछा , क्या समाचार है गोप...

कर्म और भाग्य की लड़ाई|Karm aur bhagya ki ladai episode 2

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रवि सर चितरंजन दास को खाना भेट करते हुए। चितरंजन दास चला शहर की तरफ एक नई उम्मीद लेकर। कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है... लेकिन क्या वाकई?  या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है?  यह कहानी है चितरंजन दास की... एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया, अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया... लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया?" "यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित। इसके पात्र और घटनाएँ किसी भी जीवित व्यक्ति या स्थान से मेल खा सकती हैं, पर यह केवल एक संयोग होगा। लेखक: केदार नाथ भारतीय" कर्म और भाग्य की लड़ाई| चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 2 वह उत्साह के कौतूहलता में डूबा हुआ बिना पीछे मुड़े,आगे की तरफ बढ़ता ही चला जा रहा था, जिसके कर्म गति के साथ साथ उसका भाग्य भी जुड़ा हुआ, बहुत ही सरल सहज और सुगमता के साथ चुपके चुपके कर्म लेखा का हिसाब किताब लगाते हुए संघ संघ चल रहा था, उसे क्या पता था कि कर्म कितना भी महान हो  बलवान और तेजस्वी हो, फल और पुण्य से लवरेज हो किन्तु यदि भाग्य रेखा में अशुभता या दोष की लेशमात्र भी कहीं छाया आ गई हो,...

भारत चला बुद्ध की ओर - वैभव से वैराग्य तक की यात्रा" "India Moves Towards Buddha – A Journey from Grandeur to Renunciation"

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भारत चला बुद्ध की ओर - वैभव से वैराग्य तक की यात्रा "India Moves Towards Buddha – A Journey from Grandeur to Renunciation" भारत चला बुद्ध की ओर – भाग 2   "वैभव से वैराग्य तक की यात्रा" राजकुमार सिद्धार्थ के जन्म से ही उनके लिए एक विशेष भाग्य निर्धारित था। एक ओर वे राजा शुद्धोधन के इकलौते उत्तराधिकारी थे, जिन्हें सिंहासन संभालकर शक्तिशाली शासक बनना था, वहीं दूसरी ओर ऋषियों की भविष्यवाणी थी कि यह बालक राजा नहीं, बल्कि संन्यासी बनेगा। राजा शुद्धोधन ने यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया कि सिद्धार्थ को वैराग्य का कोई भी संकेत न मिले। उन्होंने महल को ऐसा बनाया कि वहाँ केवल सुख और आनंद ही दिखे। सिद्धार्थ को कभी भी कष्ट, पीड़ा या मृत्यु जैसी चीजों से अवगत नहीं होने दिया गया। उनका जीवन केवल संगीत, काव्य, कला और शास्त्रों की शिक्षा में बीतता था। लेकिन क्या यह सचमुच संभव था कि कोई व्यक्ति जीवन के वास्तविक स्वरूप से अनभिज्ञ रह सके? कपिलवस्तु का राजमहल सोने-चाँदी से जड़ा था। ऊँचे-ऊँचे स्तंभों से घिरा भव्य महल किसी जादुई नगरी से कम नहीं था। हर दिन उत्सवों की धूम, संगीत...

भारत चला बुद्ध की ओर – एक आध्यात्मिक गाथा "India Walks Towards Buddha – A Spiritual Saga"

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भारत चला बुद्ध की ओर – एक आध्यात्मिक गाथा  "India Walks Towards Buddha – A Spiritual Saga" भारत चला बुद्ध की ओर – एक आध्यात्मिक गाथा भाग - 1"India Walks Towards Buddha – A Spiritual Saga part -1" भारत, जो हजारों वर्षों से ज्ञान, संस्कृति और आध्यात्मिकता की भूमि रही है, उसी महान भूमि पर एक अवतार ने जन्म लिया, जिसने संपूर्ण मानवता को सत्य, अहिंसा और करुणा का संदेश दिया। यह भारत की पवित्र मिट्टी ही थी, जिसने वेदों, उपनिषदों, योग, आयुर्वेद और महापुरुषों को जन्म दिया, और अब इसी धरा पर एक और युगपुरुष अवतरित हो रहा था—राजकुमार सिद्धार्थ। जब शाक्य वंश के राजा शुद्धोधन और रानी महामाया को वर्षों बाद संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिला, तो पूरे राज्य में हर्ष की लहर दौड़ गई। महामाया अपने मायके देवदह जा रही थीं, तभी लुंबिनी वन में साल वृक्ष की छाया में एक दिव्य संतान का जन्म हुआ। भारत की धरती की विशेषता रही है कि यहाँ जन्म लेने वाले महापुरुष मात्र अपने लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए कार्य करते हैं। सिद्धार्थ ने जन्म लेते ही सात कदम बढ़ाए, और प्रत्येक कदम के साथ धर...