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उपन्यास:विचित्र दुनिया भाग 7|Will the Brahmarakshas succeed in sacrificing Raghav?

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🎙️ विचित्र दुनिया – भाग 7 (लेखक: केदारनाथ भारतीय | आवाज़: नागेन्द्र बहादुर|Author Kedar YouTube channel  लेखक: केदार नाथ भारतीय उर्फ भुवाल भारतीय  विचित्र दुनिया भाग 7– ब्रह्मराक्षस और राघव की बलि का रहस्य राघव, एक फाइव-स्टार होटल की आरामदायक कुर्सी पर बैठा हुआ, अपने हाथों में थामे अख़बार के पन्नों को पलट रहा था। लेकिन तभी एक खबर ने उसके दिल की धड़कनें रोक दीं— "अकोढापुर गांव, भूकंप से पूरी तरह नष्ट… कोई जीवित बचने की उम्मीद नहीं।" यह वही गांव था, जहां उसकी जड़ें थीं, उसका बचपन बसा था। बिना एक पल गंवाए, राघव ने अपने गांव की ओर निकलने का फैसला किया। मगर किस्मत ने उसके लिए कुछ और ही तय कर रखा था। रास्ते में कुछ ऐसा हुआ, जिसे कोई समझ नहीं सकता। वह गांव तक कभी नहीं पहुंचा। इसके बजाय, वह पहुँच गया एक अनजानी, विचित्र दुनिया में—एक ऐसी जगह जहाँ आत्माएं, शैतान, और प्रेतों का शासन था। कैसे वह इस दूसरी दुनिया में पहुँचा, यह रहस्य आज भी अनसुलझा है। छह भागों की इस अद्भुत यात्रा के बाद, आज हम लेकर आए हैं भाग 7। याद रखिए—यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है, लेकिन इसके हर मोड़ पर आपको नए रहस...

उपन्यास: विचित्र दुनिया 2025 भाग–5|Brahmarakshas Told Raghav the Date of His Death|Author kedar

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यह दृश्य विचित्र दुनिया उपन्यास कहानी का है  विचित्र दुनिया उपन्यास कहानी लेखक— केदारनाथ भारतीय  आप सुन रहे हैं — Author Kedar, जहाँ हर शब्द में बसी है ज़िंदगी की कहानी, आपका एक Like और पूरा वीडियो देखना – मेरे जैसे क्रिएटर के लिए बहुत मायने रखता है। प्लीज़ इसे अंत तक देखिए, और अगर दिल को छू जाए तो शेयर ज़रूर करना कहानियों का यह जादुई सफर अभी शुरू हुआ है… "हा.. हा.. हा.. हा.. हा! अरे मूर्ख लड़की! मेरे आने का कारण पूछती है? हा.. हा.. हा.. हा..! मेरे आने का कारण है – इस लड़के के प्रति तेरी दीवानगी, तेरी बेसुमार चाहतें और तेरी प्यार भरी उल्फ़तें, समझी? हा...! हा...! हा...! हा! पागल लड़की! तुम्हें पता है यह कौन है? यह मानव है – मानव! हाड़–मांस का, दिमागी मानव! तुम इसके साथ शादी कैसे करोगी, जबकि तुम एक आत्मा हो – बिना शरीर के, बिना नरकंकाल के! फिर भी तुम्हारी शादी इसी से हमने सुनिश्चित कर दी है, सिर्फ तुम्हारी मोहब्बत देखकर।" "किंतु इससे पहले कि तुम्हारी शादी इससे संभव हो – इसकी आत्मा इसके शरीर से बाहर निकालनी होगी... अर्थात इसकी मौत! हा...! हा...! हा...! हा..! इसकी मौत! हा.....