अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य|anjir ka jadu aur ek Prem rahasy|hindi stories

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अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य भाग-2|Hindi stories 
अंजीर का जादू – भाग 2|अतीत के दरवाजे

पिछले भाग में: अद्विक को बार-बार एक सपना आ रहा था, जिसमें एक रहस्यमयी लड़की उसे अंजीर के पेड़ के बारे में सच जानने के लिए कह रही थी। गाँव के मेले में उसकी मुलाकात अदिति नाम की लड़की से हुई, जो बिल्कुल वैसी ही थी जैसी उसने सपनों में देखी थी।

 अद्विक की बेचैनी

रात के सन्नाटे में अद्विक अपनी खिड़की के पास बैठा था। बाहर हल्की चांदनी फैली हुई थी, और हवा में अंजीर के पत्तों की सरसराहट गूंज रही थी। उसकी आँखों में नींद नहीं थी, बल्कि हजारों सवाल थे।

"अदिति... वह कौन है? क्या यह सब सिर्फ एक संयोग है, या इस अंजीर के पेड़ से मेरा कोई गहरा नाता है?"

उसका मन किसी रहस्य को महसूस कर रहा था। उसने फैसला किया कि अब उसे इस पेड़ के बारे में और जानना ही होगा।

 गाँव का सबसे पुराना ग्रंथ

अगली सुबह अद्विक गाँव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति, पंडित सोमेश्वर जी के पास गया। वे गाँव के मंदिर के पुजारी थे और सदियों पुराने ग्रंथों के बारे में जानते थे।

अद्विक: "पंडित जी, मैं अंजीर के पेड़ के बारे में कुछ जानना चाहता हूँ।"

पंडित जी (गंभीर स्वर में): "अंजीर का पेड़? बेटा, वह कोई साधारण पेड़ नहीं है। इसकी जड़ें हमारे पूर्वजों से जुड़ी हुई हैं। लेकिन तुम यह क्यों पूछ रहे हो?"

अद्विक थोड़ा झिझका, फिर उसने अपने सपनों के बारे में बताया। पंडित जी चौंक गए। उन्होंने धीरे-धीरे एक पुराना ग्रंथ खोला।

पंडित जी: "यह ग्रंथ बताता है कि यह अंजीर का पेड़ एक श्राप और वरदान दोनों का प्रतीक है। कहते हैं, सैकड़ों साल पहले यह पेड़ दो प्रेमियों की प्रेमगाथा का साक्षी था। लेकिन जब लालच ने उनके प्रेम को छुआ, तो यह पेड़ श्रापित हो गया।"

अद्विक (हैरान होकर): "क्या...? कौन थे वे लोग?"

पंडित जी ने एक धुंधली पेंटिंग निकाली। अद्विक की आँखें फटी रह गईं।

इसमें अदिति जैसी दिखने वाली एक लड़की थी!

 अदिति और अतीत का राज़

अद्विक का दिमाग चकरा गया। क्या यह सच में वही अदिति थी? या फिर यह कोई पुरानी आत्मा का पुनर्जन्म था?

उसी दिन शाम को अद्विक फिर अदिति से मिला।

अद्विक (संकोच में): "अदिति... क्या तुम्हें कभी ऐसा लगा कि तुम इस गाँव से पहले भी जुड़ी हुई हो?"

अदिति कुछ देर चुप रही, फिर हल्की मुस्कान के साथ बोली, "सच कहूँ तो... हाँ।"

अद्विक ने पंडित जी की दी हुई पेंटिंग अदिति को दिखाई। अदिति का चेहरा सफ़ेद पड़ गया।

अदिति (धीमी आवाज़ में): "यह... यह तो मेरी ही तस्वीर लग रही है!"

अंजीर के पेड़ के पास रहस्यमयी निशान

अब अद्विक और अदिति दोनों को यकीन हो गया था कि इस अंजीर के पेड़ से उनका कोई गहरा रिश्ता है।

रात के समय, वे दोनों उस पेड़ के पास पहुँचे। हवा में अजीब सी सरसराहट थी। जैसे ही उन्होंने पेड़ के तने को छुआ, अचानक ज़मीन हिलने लगी।

पेड़ की जड़ों के पास एक पुरानी धातु की प्लेट दिखाई दी, जिस पर कुछ लिखा हुआ था—

"सच्चे प्रेम की परीक्षा यहाँ होगी... केवल वही इसे समझ सकता है, जो दिल से निस्वार्थ हो।"

अद्विक और अदिति एक-दूसरे को देखकर सिहर गए।


आखिर इस पेड़ का रहस्य क्या था?
(अगले भाग में:)

  • अद्विक और अदिति को अपने अतीत की झलकियाँ दिखती हैं।
  • वे दोनों इस जादुई अंजीर के रहस्य को सुलझाने की कोशिश करते हैं।
  • क्या उनका रिश्ता सदियों पुराना है?

(अगला भाग रोमांचक होने वाला है!)

  • पहले भाग के लिए यहां क्लिक करे:https://www.kedarkahani.in/2025/02/Kedarkahani.inanjir-ka-jadu-aur-ek-prem-rahasy.html


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