पंचायत की गवाही: क्या ग्राम पंचायत सदस्य प्रधान से ज्यादा शक्तिशाली होते हैं? सच जानकर हैरान रह जाएंगे
गाँव बनकटापुर की सुबह हमेशा की तरह धुँध से ढकी हुई थी, लेकिन आज पंचायत भवन के सामने असामान्य भीड़ जमा थी। पुराना नीला दरवाज़ा, जिसके ऊपर “ग्राम पंचायत – जनता की आवाज़” लिखा था, आज खुद किसी दर्द का गवाह लग रहा था। भीड़ के बीच एक दुबला-पतला युवक खड़ा था—रामसेवक, जो अभी-अभी पहली बार ग्राम पंचायत सदस्य चुना गया था। चेहरे पर चोट का निशान, आँखों में गुस्सा, और दिल में डर। लोग फुसफुसा रहे थे— “रामसेवक पर हमला हुआ है!” “प्रधान के आदमी ने मारा है क्या?” “अब पंचायत में क्या होगा?” लेकिन असली कहानी इससे कहीं गहरी थी… कहानी की शुरुआत: डर और अन्याय बनकटापुर की पंचायत में पाँच साल से प्रधान जगदीश का दबदबा था। जगदीश चालाक था—कागज़ी काम में तेज, भाषण में और भी तेज, लेकिन विकास कार्यों में धीमा, बहुत धीमा। नालियाँ टूटी थीं, सड़कें गड्ढों में थीं, लोग शिकायत करते थे, लेकिन जगदीश मुस्कुराकर कह देता— “साब, फाइल चल रही है… काम जल्द शुरू होगा।” इसी बीच नया-नया चुना गया सदस्य रामसेवक अपने वार्ड की समस्याएँ लेकर प्रधान के पास पहुँचा। “प्रधान जी, लोग पानी के लिए परेशान हैं। दो महीने से हैंडपंप खराब है।” जगदीश ...