ग्राम पंचायत की असली ताकत: प्रधान और सदस्य के अधिकार, वेतन और सुरक्षा कानून|जाने पूरी जानकारी

ग्राम पंचायत के प्रधान और सदस्य के अधिकार – पंचायत भवन की तस्वीर
ग्राम पंचायत भवन – पंचायत के प्रधान और सदस्यों के अधिकारों का प्रतीक।



भारत का लोकतंत्र गाँवों से शुरू होता है।
गाँव की सबसे छोटी परंतु सबसे महत्वपूर्ण इकाई है — ग्राम पंचायत।
यहीं से लोकतंत्र की असली शक्ति जनता के हाथों में आती है।
ग्राम पंचायत का प्रमुख होता है प्रधान (मुखिया), और उसके साथ कार्य करते हैं पंचायत सदस्य।

लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि —

👉 एक सदस्य के पास कौन-कौन से अधिकार हैं,
👉 क्या प्रधान को हटाया जा सकता है,
👉 क्या सदस्यों को वेतन मिलता है,
👉 और अगर किसी ने सदस्य या प्रधान से मारपीट कर ली तो क्या करना चाहिए।

चलिए इन सभी बातों को एक-एक करके सरल भाषा में समझते हैं 👇


 1. ग्राम प्रधान का कार्यकाल और हटाने की प्रक्रिया


ग्राम प्रधान का कार्यकाल पाँच वर्ष (5 Years) का होता है।
यह अवधि ग्राम पंचायत के गठन की तिथि से शुरू होती है।
प्रधान का कार्य गाँव में विकास कार्यों को आगे बढ़ाना, योजनाओं को लागू करना और जनता की सेवा करना होता है।

लेकिन यदि प्रधान अपने कर्तव्यों में लापरवाह हो,
भ्रष्टाचार करे या जनता का विश्वास खो दे,
तो उसे अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) के माध्यम से हटाया जा सकता है।


 प्रक्रिया इस प्रकार है:


1. ग्राम पंचायत के कम से कम आधे सदस्य लिखित रूप से आवेदन तैयार करते हैं।

2. यह आवेदन उप-जिलाधिकारी (SDM) या जिलाधिकारी (DM) को दिया जाता है।

3. एस.डी.एम. आवेदन की जांच करने के बाद विशेष बैठक बुलाते हैं।

4. बैठक की सूचना सभी सदस्यों को कम से कम 7 दिन पहले दी जाती है।

5. बैठक में अगर उपस्थित सदस्यों में से दो-तिहाई (2/3rd) बहुमत प्रधान के खिलाफ वोट करता है,
तो प्रधान पद से हटा दिया जाता है।

यह पूरा नियम उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1947 की धारा 14 में दिया गया है।
मतलब यह कि प्रधान केवल जनता के विश्वास से ही पद पर बना रह सकता है।

2. ग्राम पंचायत सदस्य के अधिकार और जिम्मेदारियाँ

हर सदस्य अपने वार्ड का प्रतिनिधि होता है।
वह अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याएँ पंचायत के सामने रखता है और योजनाओं की निगरानी करता है।
सदस्य पंचायत की रीढ़ होते हैं, क्योंकि वही गाँव की असली आवाज़ होते हैं।

सदस्य के मुख्य अधिकार:

1. बैठक में भाग लेने और मतदान करने का अधिकार —

पंचायत की किसी भी बैठक में सदस्य अपनी राय दे सकता है और वोट डाल सकता है।


2. विकास कार्यों की निगरानी करने का अधिकार —

सड़कों, नालियों, शौचालय या सरकारी योजनाओं में यदि कोई गड़बड़ी दिखे,
तो सदस्य आपत्ति दर्ज कर सकता है।

3. शिकायत करने का अधिकार —

अगर प्रधान या सचिव गलत काम कर रहे हों,
तो सदस्य BDO (ब्लॉक विकास अधिकारी) या DM (जिलाधिकारी) को शिकायत दे सकता है।

4. नए प्रस्ताव रखने का अधिकार —

सदस्य गाँव के विकास से जुड़े प्रस्ताव पंचायत में रख सकता है,
जैसे सड़क बनवाना, हैंडपंप लगवाना, या योजनाओं की सिफारिश करना।

5. अविश्वास प्रस्ताव में भागीदारी का अधिकार —

अगर प्रधान ठीक से काम नहीं कर रहा है,
तो सदस्य अविश्वास प्रस्ताव लाने में भाग ले सकता है।

6. सरकारी योजनाओं में सिफारिश करने का अधिकार —

अपने वार्ड के पात्र लोगों के नाम सरकारी योजनाओं में शामिल कराने का सुझाव दे सकता है।

👉 यानी सदस्य के पास न केवल राय देने का अधिकार है, बल्कि भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की जिम्मेदारी भी है।

3. क्या ग्राम पंचायत सदस्य को सरकारी वेतन मिलता है?

यह प्रश्न अक्सर हर गाँव में पूछा जाता है।
उत्तर है —

❌ नहीं, ग्राम पंचायत के सदस्य को सरकारी “तनख्वाह” नहीं मिलती।


✅ लेकिन उसे “मानदेय” या “बैठक भत्ता” दिया जाता है।

सदस्य सरकारी कर्मचारी नहीं, बल्कि जन प्रतिनिधि (Public Representative) होता है।
इसलिए उसे नियमित वेतन नहीं दिया जाता।

उदाहरण (उत्तर प्रदेश के अनुसार):

ग्राम प्रधान: ₹3500 प्रति माह

उपप्रधान: ₹1500 प्रति माह


यह राशि राज्य सरकार द्वारा तय की जाती है,
और यह प्रत्येक राज्य में अलग-अलग हो सकती है।
कई बार पंचायत के पास फंड न होने के कारण यह भुगतान देरी से भी होता है।

👉 सदस्य का असली उद्देश्य “सेवा” है, न कि “नौकरी”।


 4. अगर किसी ने पंचायत सदस्य या प्रधान से मारपीट कर ली तो क्या करें?

यह बहुत गंभीर सवाल है।
अगर किसी व्यक्ति ने ग्राम पंचायत सदस्य से मारपीट या धमकी दी है,
तो सदस्य को कानूनन सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है।

 तुरंत उठाने वाले कदम

1. सबसे पहले सुरक्षित स्थान पर जाएँ।

2. पुलिस (100 नंबर) को फोन करें और घटना की सूचना दें।

3. मेडिकल रिपोर्ट (MLC) बनवाएँ — यह सबूत होता है।

4. एफ.आई.आर. दर्ज कराएँ — पूरी घटना, आरोपी और गवाहों के नाम दर्ज कराएँ।

5. BDO या SDM को लिखित सूचना दें ताकि प्रशासनिक कार्रवाई हो सके।

6. CCTV या वीडियो सबूत हों तो उन्हें सुरक्षित रखें।

अगर हमला सार्वजनिक कार्य के दौरान हुआ है,
तो यह “लोक सेवक पर हमला” माना जाएगा,
जो कानूनी रूप से दंडनीय अपराध है।

5. क्या सदस्य अपने “पावर” का इस्तेमाल कर सकता है?

कानून के अनुसार, सदस्य को आत्मरक्षा (Self Defence) का अधिकार है।
अगर कोई उस पर हमला करता है, तो वह खुद को बचाने के लिए सीमित बल का प्रयोग कर सकता है।
लेकिन उसे कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए।
उसका पहला कर्तव्य है कि वह पुलिस और प्रशासन को सूचना दे।

👉 ग्राम पंचायत का सदस्य कोई अधिकारी नहीं है,
इसलिए वह गिरफ्तारी जैसी कार्रवाई नहीं कर सकता,
परंतु प्रशासन से कार्रवाई जरूर करवाने का अधिकार रखता है।

 6. पंचायत प्रतिनिधियों को कानूनी सुरक्षा

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243B से 243O तक पंचायतों की व्यवस्था दी गई है।
इन धाराओं के तहत हर पंचायत सदस्य, प्रधान और प्रतिनिधि को कानूनी सुरक्षा प्राप्त है।
किसी भी पंचायत प्रतिनिधि पर हमला या सार्वजनिक कार्य में बाधा डालना
भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत अपराध है।

 7. सशक्त सदस्य, सशक्त पंचायत

ग्राम पंचायत लोकतंत्र की जड़ है।
प्रधान और सदस्य मिलकर गाँव के विकास का रास्ता तय करते हैं।
लेकिन यह तभी संभव है जब हर सदस्य अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझे।

प्रधान जनता का सेवक है, और सदस्य जनता की आवाज़।
दोनों मिलकर गाँव को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाते हैं।


लेखक: नागेन्द्र बहादुर भारतीय 

अगर यह जानकारी उपयोगी लगे, तो इसे अपने गाँव के सभी सदस्यों तक ज़रूर पहुँचाएँ।
जागरूक सदस्य ही मजबूत पंचायत की पहचान हैं।

✍️ लेखक परिचय

लेखक: नागेंद्र भारतीय
ब्लॉग: Kedar Kahani

नागेंद्र भारतीय सामाजिक विषयों, शिक्षा और भारतीय संस्कृति पर आधारित कहानियाँ लिखते हैं। वे अपने दो यूट्यूब चैनलों के माध्यम से अपनी रचनाएँ और शायरी भी साझा करते हैं —

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