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ANM Course | A Golden Opportunity for Women After 12th

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ANM कोर्स, 12वीं के बाद महिलाओं के लिए सुनहरा मौका ANM कोर्स कैसे करें ?  आज के समय में स्वास्थ्य सेवा एक ऐसा क्षेत्र है, जहां काम करने के साथ-साथ समाज की सेवा का भी अवसर मिलता है। खासकर महिलाएं इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में करियर बना रही हैं। अगर आप भी स्वास्थ्य सेवा में कदम रखना चाहते हैं और जल्दी जॉब पाना चाहते हैं तो ANM यानी Auxiliary Nurse Midwifery कोर्स आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। ANM एक ऐसा डिप्लोमा कोर्स है जिसे आप 12वीं के बाद कर सकते हैं। इस कोर्स में नर्सिंग से जुड़ी बुनियादी बातें सिखाई जाती हैं। इसमें आपको महिलाओं और बच्चों की देखभाल, प्रसव संबंधी सेवाएं, टीकाकरण, प्राथमिक उपचार, और स्वास्थ्य जागरूकता से जुड़ी जानकारी दी जाती है। यह कोर्स मुख्यतः महिलाओं के लिए होता है लेकिन कुछ संस्थानों में पुरुषों के लिए भी विकल्प उपलब्ध है। ANM कोर्स करने के लिए सबसे पहले आपको 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। यह जरूरी नहीं कि आप साइंस स्ट्रीम से हों, किसी भी विषय से बारहवीं पास छात्राएं इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकती हैं। हालांकि कुछ कॉलेजों में बायोलॉजी विषय रखने...

कर्म और भाग्य की लड़ाई|Karm aur bhagya ki ladai episode 5

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चितरंजन दास, रवि सर के बेटे को लेकर जा रहे थे। मोना मैम की तीखी वाडी  जहां शब्द मिलते हैं, वहां कहानियां सुनाई देती हैं। कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है...  लेकिन क्या वाकई?  या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है?  यह कहानी है चितरंजन दास की...एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया,अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया... लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया ? "यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित।लेखक: केदार नाथ भारतीय "कर्म और भाग्य की लड़ाई| चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 5 पिछले भाग में,  आपने देखा कि वर्षों से अधूरी प्रेम कहानी को पूरा करने में चितरंजन दास सफल हुए। रवि सर की शादी उनकी ही सेक्रेटरी मोना मैम से हुई, और इस सुखद मिलन का श्रेय भी कहीं न कहीं चितरंजन दास को ही जाता है। अब तक सब कुछ सुंदर और संतुलित ढंग से चल रहा है — एक नई शुरुआत, नए विश्वास के साथ। अब आगे........ ऑपरेशन सिन्दूर और कराची बेकरी से हमे सीखने, की जरूरत है  सांसारिक भवसागर के असीमित एवं अकूत जल राशि में गोते लगाते हुए, वह समय रूपी पंछी अपने द...

ऑपरेशन सिन्दूर और कराची बेकरी|Operation Sindoor | Karachi Bakery Controversy.|

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ऑपरेशन सिन्दूर और कराची बेकरी ऑपरेशन सिन्दूर और कराची बेकरी| देश की लहर या अशिष्णुता की लहर? जब देश की सीमाओं पर जवान जवाब देते हैं, तब देश के भीतर जनता भावनाओं से भर जाती है। लेकिन जब वही भावनाएँ अंधभक्ति या असहिष्णुता में बदलने लगें, तो क्या हमें ठहरकर सोचने की ज़रूरत नहीं? 'ऑपरेशन सिंदूर' ने आतंकवादियों को उनके अंजाम तक पहुँचाया। लेकिन इस ऑपरेशन की छाया में एक घटना और घटी – हैदराबाद की कराची बेकरी पर हमला। क्या यह केवल एक नाम पर गुस्सा था, या हमारी सामाजिक चेतना में कोई बड़ी दरार? जानिए EPS 95 पेंशन क्या है  ऑपरेशन सिन्दूर|शौर्य का प्रतीक 7 मई, 2025 - वह दिन जब भारत ने दुनिया को फिर यह जता दिया कि हम अपने नागरिकों की हत्या को कभी नहीं भूलते। 22 अप्रैल को हुए एक आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष भारतीयों की जान चली गई। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पोलैंड में आतंकवादी ठिकानों पर कुल 24 मिसाइलें दागीं। इस सर्जिकल स्ट्राइक में 70 आतंकी मारे गए, और भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों ने दुश्मन के समुद्री अड्डों पर हमला करते हुए 600 से अधिक आतंकियों का सफाया किया। भारतीय सेना की इस निर्...

Emotional Shayari with Roadside Image | by Kedarkahani.in

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Emotional Shayari with Roadside Image – by Kedarkahani.in राहों का रुकना भी एक सफर है – एक तस्वीर, एक शायरी सड़कें ख़ामोश हैं, पर मंज़िलों की चाह बाकी है, धूप के साए में थमी ये रफ्तार भी एक गवाही है। छोटा-सा ट्रक, सपनों का बोझ लिए खड़ा है, जैसे ज़िंदगी हर मोड़ पे कुछ पल ठहरा है। नीला आसमां, रूई जैसे बादल लहराते हैं, हर सफ़र के किस्से इन राहों पे मुस्कुराते हैं। ये मोड़, ये संकेत, बस वक्त का इशारा हैं, कि चलना ही ज़िंदगी है, रुकना बस एक किनारा है। इस तस्वीर में छुपे हुए ठहराव और उसकी ख़ामोशी को शायरी के शब्दों में पिरोया गया है। एक छोटा ट्रक, एक लंबा रास्ता और नीला आसमान — इन तीनों के बीच जो भाव है, वही ज़िंदगी का एक अनकहा पहलू है। – नागेन्द्र भारतीय kedarkahani.in | magicalstorybynb.in अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो कृपया Like, Comment और Share ज़रूर करें। कहानियाँ जो दिल से निकलती हैं, उन्हें सुरक्षित रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। Stories that come from the heart, protecting them is our responsibility. Share this post...

खामोश शरीर, चीखता मस्तिष्क|Silent Body, Screaming Brain.| Brain Hemorrhage.

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Silent Body, Screaming Brain. कभी-कभी शरीर बोलता नहीं… पर मस्तिष्क अंदर से चीखता है। ये कहानी है एक ऐसी पुकार की… जो सुनी नहीं गई। एक ऐसी चुप्पी… जो मौत बन गई। एक अधेड़ उम्र का आदमी चुपचाप कुर्सी पर बैठा है, चेहरा थका हुआ, आंखों में खालीपन… और बैकग्राउंड में ब्रेन की आवाज़ सुनाई देती है – “क्या कोई मेरी चीख सुन सकता है? तब जाके ब्रेन ने की विटामिन्स से बात । लेखक: नागेन्द्र भारतीय स्रोत: www.kedarkahani.in | www.magicalstorybynb.in  शरीर के भीतर, मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्से में... चारों ओर सन्नाटा था। रक्त का प्रवाह धीमा पड़ रहा था, नसों में तनाव था, और मस्तिष्क के भीतर एक गूंज सी हो रही थी। ब्रेन (मस्तिष्क) थककर बैठा था। वो बेचैन था – दर्द में, कमजोर, और भ्रमित। ब्रेन (धीमे स्वर में): क्या हो रहा है मुझे? सोच नहीं पा रहा… कुछ गड़बड़ है… बहुत गड़बड़। इसी बीच एक चमकदार रोशनी अंदर आई – जैसे कोई शक्ति आ रही हो। यह कोई और नहीं, बल्कि विटामिन्स थे – शरीर के असली रक्षक। प्रवेश – विटामिन्स की टोली विटामिन B12: तुम बहुत परेशान लग रहे हो ब्रेन। क्या अब भी समय है कुछ ठीक करने का? ब्रेन: ...

कर्म और भाग्य की लड़ाई|Karm aur bhagya ki ladai episode 4

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रवि सर और मोना की शादी की एक दृश्य रवि सर और उनके पुरानी प्रेमिका से शादी। कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है... लेकिन क्या वाकई?  या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है?  यह कहानी है चितरंजन दास की... एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया, अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया... लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया?" "यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित। लेखक: केदार नाथ भारतीय" कर्म और भाग्य की लड़ाई| चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 4 पिछले भाग में आपने देखा कि रवि सर, जो चितरंजन दास को पुत्र समान स्नेह देते हैं, अब भी अपने अतीत की अधूरी प्रेम कहानी के साथ जी रहे हैं। वर्षों शहर में बिताने के बाद, चितरंजन गांव लौटने का निर्णय लेते हैं। पर इस बार उनका उद्देश्य केवल वापसी नहीं, बल्कि एक अधूरी कहानी को मुकम्मल अंजाम देना है — उन्होंने ठान लिया है कि वे रवि सर का विवाह उनकी पुरानी प्रेमिका से कराकर, उन्हें वह सुख लौटाएंगे जिसे समय ने उनसे छीन लिया था। अब आगे ..... ! चितरंजन दास उर्फ विजय कुमार की बल बुद्धि विद्या और ज्ञान से भरी हुई कर्मठत...

कर्म और भाग्य की लड़ाई|Karm aur bhagya ki ladai episode 3

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चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 3 चितरंजन दास की खुला भाग्य। कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है... लेकिन क्या वाकई?  या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है?  यह कहानी है चितरंजन दास की... एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया, अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया... लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया?" "यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित। लेखक: केदार नाथ भारतीय" कर्म और भाग्य की लड़ाई| चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 3 पिछले भाग में चितरंजन दास और कारपेंटर उद्योग रवि कुमार से मुलाकात एक स्टेशन पर हुई। अब आगे .... जैसे ही रवि कुमार के साथ चितरंजन दास उर्फ विजय कुमार, ट्रेन से नीचे उतरकर, संगमरमर के स्निग्ध फुटपाथ पर कदम रखे, वैसे ही वहां पहले से ही मौजूद  गोपीचंद्र  नाम का व्यक्ति जो रवि कुमार की विशेष क्वालिस गाड़ी का सर्वश्रेष्ठ ड्राइवर था वह खाकी वर्दी पहने हुए उन्हें  'जोरदार सैल्यूट मारा',सर, गुड  मॉर्निंग।  मॉर्निंग, रवि कुमार ने औपचारिकताओ को पूर्ण करते हुए गोपीचंद्र  से  पूछा , क्या समाचार है गोप...

कर्म और भाग्य की लड़ाई|Karm aur bhagya ki ladai episode 2

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रवि सर चितरंजन दास को खाना भेट करते हुए। चितरंजन दास चला शहर की तरफ एक नई उम्मीद लेकर। कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है... लेकिन क्या वाकई?  या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है?  यह कहानी है चितरंजन दास की... एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया, अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया... लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया?" "यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित। इसके पात्र और घटनाएँ किसी भी जीवित व्यक्ति या स्थान से मेल खा सकती हैं, पर यह केवल एक संयोग होगा। लेखक: केदार नाथ भारतीय" कर्म और भाग्य की लड़ाई| चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 2 वह उत्साह के कौतूहलता में डूबा हुआ बिना पीछे मुड़े,आगे की तरफ बढ़ता ही चला जा रहा था, जिसके कर्म गति के साथ साथ उसका भाग्य भी जुड़ा हुआ, बहुत ही सरल सहज और सुगमता के साथ चुपके चुपके कर्म लेखा का हिसाब किताब लगाते हुए संघ संघ चल रहा था, उसे क्या पता था कि कर्म कितना भी महान हो  बलवान और तेजस्वी हो, फल और पुण्य से लवरेज हो किन्तु यदि भाग्य रेखा में अशुभता या दोष की लेशमात्र भी कहीं छाया आ गई हो,...

करेंसी एक महायुद्ध | currency ek mahayudh| rupaya vs dollar

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Currency ek mahayudh |Hindi stories  "रुपया vs डॉलर" – भाग 1: जब रुपया था king 🦁! (यह कहानी ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है, लेकिन इसमें कुछ कल्पनाएँ जोड़ी गई हैं। उद्देश्य केवल जानकारी और मनोरंजन है।) साल 1947। लाल किले से तिरंगा लहराया गया। आज़ाद भारत की पहली सुबह थी। लोगों की आँखों में सपने थे, और जेब में रुपया। तब भारतीय रुपया किसी से कमजोर नहीं था— 1 रुपया = 1 अमेरिकी डॉलर। उस दौर में भारत की अपनी शान थी। कोई विदेशी कर्ज नहीं था, और दुनिया में हमारी अर्थव्यवस्था की अपनी अलग पहचान थी। लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि आज रुपया डॉलर के सामने घुटने टेक चुका है? क्या यह सिर्फ आर्थिक उतार-चढ़ाव की कहानी है, या इसके पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र था? एक मजबूत शुरुआत आजादी के समय भारत के पास मजबूत सोने का भंडार था। हमारा कृषि और हथकरघा उद्योग काफी ताकतवर था। लेकिन देश को आगे बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, उद्योग, और शिक्षा में निवेश करना जरूरी था। सरकार ने विकास के लिए योजनाएँ बनाईं, और इसके लिए बाहरी देशों से मदद लेने की जरूरत पड़ी। यही पहला मोड़ था जहाँ भारत ने विदेशी कर्ज लेना शुरू कि...

कर्म और भाग्य की लड़ाई|Karm aur bhagya ki ladai episode 1

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कर्म और भाग्य की लड़ाई - केदार की कलम से  चितरंजन दास और उसकी गरीबी कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है... लेकिन क्या वाकई?  या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है?  यह कहानी है चितरंजन दास की... एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया, अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया... लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया?" "यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित। इसके पात्र और घटनाएँ किसी भी जीवित व्यक्ति या स्थान से मेल खा सकती हैं, पर यह केवल एक संयोग होगा। लेखक: केदार नाथ भारतीय" कर्म और भाग्य की लड़ाई| चितरंजन दास की संघर्ष गाथा