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भारत चला बुद्ध की ओर - वैभव से वैराग्य तक की यात्रा" "India Moves Towards Buddha – A Journey from Grandeur to Renunciation"

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भारत चला बुद्ध की ओर - वैभव से वैराग्य तक की यात्रा "India Moves Towards Buddha – A Journey from Grandeur to Renunciation" भारत चला बुद्ध की ओर – भाग 2   "वैभव से वैराग्य तक की यात्रा" राजकुमार सिद्धार्थ के जन्म से ही उनके लिए एक विशेष भाग्य निर्धारित था। एक ओर वे राजा शुद्धोधन के इकलौते उत्तराधिकारी थे, जिन्हें सिंहासन संभालकर शक्तिशाली शासक बनना था, वहीं दूसरी ओर ऋषियों की भविष्यवाणी थी कि यह बालक राजा नहीं, बल्कि संन्यासी बनेगा। राजा शुद्धोधन ने यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया कि सिद्धार्थ को वैराग्य का कोई भी संकेत न मिले। उन्होंने महल को ऐसा बनाया कि वहाँ केवल सुख और आनंद ही दिखे। सिद्धार्थ को कभी भी कष्ट, पीड़ा या मृत्यु जैसी चीजों से अवगत नहीं होने दिया गया। उनका जीवन केवल संगीत, काव्य, कला और शास्त्रों की शिक्षा में बीतता था। लेकिन क्या यह सचमुच संभव था कि कोई व्यक्ति जीवन के वास्तविक स्वरूप से अनभिज्ञ रह सके? कपिलवस्तु का राजमहल सोने-चाँदी से जड़ा था। ऊँचे-ऊँचे स्तंभों से घिरा भव्य महल किसी जादुई नगरी से कम नहीं था। हर दिन उत्सवों की धूम, संगीत...

अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य|anjir ka jadu aur ek Prem rahasy|hindi stories

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अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य अंजीर का जादू और एक प्रेम रहस्य  भाग- 1 गाँव चंद्रपुर हमेशा से रहस्यों से भरा रहा है। यह एक छोटा सा पहाड़ी गाँव था, जो अपनी हरियाली, शुद्ध हवा और पौराणिक कहानियों के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ के लोग मानते थे कि उनके गाँव में एक ऐसा अंजीर का पेड़ है, जो इंसान की किस्मत बदल सकता है। लेकिन उसके बारे में जितनी कहानियाँ थीं, उतने ही डर भी थे। गाँव के बुजुर्ग कहते थे कि यह अंजीर का पेड़ कोई साधारण वृक्ष नहीं, बल्कि सैकड़ों साल पुराना एक जादुई वृक्ष है। ऐसा कहा जाता था कि इस पेड़ का फल खाने वाले को उसका सच्चा प्रेम मिल जाता है, लेकिन अगर कोई इसे स्वार्थ से खाए, तो उसका प्यार उससे हमेशा के लिए दूर चला जाता है। हालाँकि, इस बात को साबित करने वाला कोई नहीं था। कुछ लोगों का मानना था कि यह सिर्फ एक लोककथा है, लेकिन गाँव के कुछ बुजुर्ग इसे सच मानते थे। गाँव में रहने वाला अद्विक , 24 वर्षीय एक युवा कलाकार, इस पेड़ के रहस्य से बहुत आकर्षित था। वह गाँव के मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाता और पेंटिंग करता था। उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी, और उसका मन हमेश...

भारत चला बुद्ध की ओर – एक आध्यात्मिक गाथा "India Walks Towards Buddha – A Spiritual Saga"

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भारत चला बुद्ध की ओर – एक आध्यात्मिक गाथा  "India Walks Towards Buddha – A Spiritual Saga" भारत चला बुद्ध की ओर – एक आध्यात्मिक गाथा भाग - 1"India Walks Towards Buddha – A Spiritual Saga part -1" भारत, जो हजारों वर्षों से ज्ञान, संस्कृति और आध्यात्मिकता की भूमि रही है, उसी महान भूमि पर एक अवतार ने जन्म लिया, जिसने संपूर्ण मानवता को सत्य, अहिंसा और करुणा का संदेश दिया। यह भारत की पवित्र मिट्टी ही थी, जिसने वेदों, उपनिषदों, योग, आयुर्वेद और महापुरुषों को जन्म दिया, और अब इसी धरा पर एक और युगपुरुष अवतरित हो रहा था—राजकुमार सिद्धार्थ। जब शाक्य वंश के राजा शुद्धोधन और रानी महामाया को वर्षों बाद संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिला, तो पूरे राज्य में हर्ष की लहर दौड़ गई। महामाया अपने मायके देवदह जा रही थीं, तभी लुंबिनी वन में साल वृक्ष की छाया में एक दिव्य संतान का जन्म हुआ। भारत की धरती की विशेषता रही है कि यहाँ जन्म लेने वाले महापुरुष मात्र अपने लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए कार्य करते हैं। सिद्धार्थ ने जन्म लेते ही सात कदम बढ़ाए, और प्रत्येक कदम के साथ धर...