कर्म और भाग्य की लड़ाई|Karm aur bhagya ki ladai episode 3

चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 3 चितरंजन दास की खुला भाग्य। कहते हैं, इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है... लेकिन क्या वाकई? या फिर भाग्य ही इंसान की राहें तय करता है? यह कहानी है चितरंजन दास की... एक ऐसा नौजवान, जिसने गरीबी से लड़ने का संकल्प लिया, अपनों के लिए सबकुछ छोड़ दिया... लेकिन क्या वह अपने भाग्य को बदल पाया?" "यह कहानी काल्पनिक है, लेकिन समाज की सच्चाइयों से प्रेरित। लेखक: केदार नाथ भारतीय" कर्म और भाग्य की लड़ाई| चितरंजन दास की संघर्ष गाथा भाग - 3 पिछले भाग में चितरंजन दास और कारपेंटर उद्योग रवि कुमार से मुलाकात एक स्टेशन पर हुई। अब आगे .... जैसे ही रवि कुमार के साथ चितरंजन दास उर्फ विजय कुमार, ट्रेन से नीचे उतरकर, संगमरमर के स्निग्ध फुटपाथ पर कदम रखे, वैसे ही वहां पहले से ही मौजूद गोपीचंद्र नाम का व्यक्ति जो रवि कुमार की विशेष क्वालिस गाड़ी का सर्वश्रेष्ठ ड्राइवर था वह खाकी वर्दी पहने हुए उन्हें 'जोरदार सैल्यूट मारा',सर, गुड मॉर्निंग। मॉर्निंग, रवि कुमार ने औपचारिकताओ को पूर्ण करते हुए गोपीचंद्र से पूछा , क्या समाचार है गोप...